तुलसी आरती इस्कॉन | Tulsi Aarti Iskcon in Hindi lyrics

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हिंदू धर्म में तुलसी को एक पवित्र पौधा माना जाता है। इसका महत्व न केवल धार्मिक परंपराओं में है, बल्कि आयुर्वेदिक औषधियों में भी इसका विशेष स्थान है। तुलसी की पूजा और आरती प्राचीन काल से चली आ रही है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम तुलसी आरती (Tulsi Aarti Iskcon Iyrics) के महत्व और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से बताएंगे।

श्री तुलसी आरती

श्री तुलसी प्रणाम


वृन्दायै तुलसी देव्यायै
प्रियायै केशवस्यच
कृष्ण भक्ती प्रदे देवी
सत्य वत्यै नमो नमः||

श्री तुलसी आरती इस्कॉन | Tulsi Aarti Iskcon


तुलसी कृष्णा प्रेयसी नमो नमों
राधा कृष्णा सेवा पाबो एई अभिलाषी(1)

ये तोमार शरण लोय, तारा वांछा पूर्ण होय
कृपा करी कोरो तारे वृंदावन वासीं(2)

मोरा एई अभिलाष विलास कुंजे दिओ वास
नयन हेरीबो सदा युगल रूप रासि(3)

एई निवेदन धर सखीर अनुगत कोरो
सेवा अधिकार दिए कोरो निज दासी(4)

दिन कृष्णा दासे कोय एई येन मोरा होय
श्री राधा गोविंद प्रेमे सदा येन भासिं(5)

श्री तुलसी प्रदक्षिणा


यानि कानि च पापानी
ब्रह्म हत्यदिकानी च
तानि तानि प्रणश्यन्ति
प्रदक्षिणः पदे पदे||

तुलसी आरती का महत्व:

  • धार्मिक महत्व: तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय माना जाता है। माना जाता है कि तुलसी के पत्तों में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए तुलसी की पूजा और आरती करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  • आध्यात्मिक महत्व: तुलसी की सुगंध सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। तुलसी की आरती करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचार दूर होते हैं।
  • स्वास्थ्य लाभ: तुलसी के पत्तों में औषधीय गुण होते हैं। तुलसी की आरती करने से वातावरण शुद्ध होता है, जिससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

तुलसी आरती कैसे करें:

  1. पूजा सामग्री: सबसे पहले तुलसी आरती के लिए पूजा सामग्री इकट्ठा कर लें। इसमें दीपक, अगरबत्ती, कपूर, फूल, जल, तुलसी के पत्ते और आरती की थाली शामिल हैं।
  2. स्थान: तुलसी का पौधा आमतौर पर घर के आंगन में लगाया जाता है। इसलिए तुलसी आरती भी वहीं करें।
  3. स्नान: आरती करने से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  4. दीप प्रज्ज्वलित करें: दीपक में घी या तेल डालकर जलाएं।
  5. मंत्रोच्चार: तुलसी के पौधे के सामने खड़े होकर “ॐ नमो तुलस्याय” मंत्र का जाप करें।
  6. आरती करें: आरती की थाली में कपूर जलाएं और आरती के गीत गाएं। तुलसी के पौधे को आरती दिखाएं।
  7. प्रार्थना करें: अंत में भगवान विष्णु और तुलसी माता से अपनी मनोकामनाएं कहें।
  8. प्रसाद ग्रहण करें: आरती के बाद तुलसी के पत्तों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।

ध्यान दें:

  • तुलसी आरती किसी भी समय की जा सकती है, लेकिन सुबह और शाम का समय सबसे अच्छा माना जाता है।
  • तुलसी आरती करते समय मन शुद्ध रखें और भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • आरती के बाद तुलसी के पौधे को जल अर्पित करें।

इसके अलावा, आप इस ब्लॉग पोस्ट को और भी अधिक मानव-हितैषी बनाने के लिए निम्नलिखित सुझावों को शामिल कर सकते हैं:

  • तुलसी के पौधे के रोपण और देखभाल के बारे में जानकारी दें।
  • तुलसी के विभिन्न औषधीय गुणों के बारे में बताएं।
  • तुलसी आरती के पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डालें।
  • तुलसी आरती से जुड़ी कहानियों और किंवदंतियों को शामिल करें।

मुझे उम्मीद है कि यह ब्लॉग पोस्ट आपको तुलसी आरती के महत्व और इसे करने की विधि के बारे में विस्तार से बताने में मददगार रहा होगा।


FAQs

क्या रोज तुलसी आरती करना जरूरी है?

जरूरी नहीं है, लेकिन आप प्रतिदिन सुबह या शाम को कर सकते हैं। शास्त्रों में नियमित पूजा और आरती से लाभ बताया गया है।

तुलसी का पौधा नहीं होने पर आरती कैसे करें?

तुलसी के चित्र के सामने भी आरती की जा सकती है। मंदिर में जाकर वहां मौजूद तुलसी के पास आरती करने का विकल्प भी है।

तुलसी के कौन से औषधीय गुण हैं?

तुलसी बुखार, खांसी, जुकाम, त्वचा रोग, पेट दर्द आदि में लाभदायक है। इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण भी पाए जाते हैं।

तुलसी की पत्तियां खाने के क्या फायदे हैं?

तुलसी की पत्तियां रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती हैं, पाचन सुधारती हैं और तनाव कम करती हैं। इनका सेवन कम मात्रा में ही करना चाहिए।

तुलसी आरती से पर्यावरण को क्या लाभ होता है?

तुलसी वातावरण को शुद्ध करती है और हवा में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को कम करती है। इससे वातावरण स्वच्छ और सेहतमंद रहता है।


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