Sri Guru Aarti Iskcon in Hindi | श्रीगुरुचरण पद्म आरती हिंदी में

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“भक्ति का दीप जलाने का मंगल अवसर”

श्री गुरु चरण पद्म आरती,(Sri Guru Aarti Iskcon) भक्तों द्वारा अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति कृतज्ञता और भक्ति व्यक्त करने का एक मंगल अवसर है। यह आरती गुरु के चरण कमलों की पूजा और उनके प्रति समर्पण का प्रतीक है।

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श्रीगुरुचरण आरती का महत्व:

  • आध्यात्मिक मार्गदर्शन: गुरु हमें अज्ञानता के अंधकार से बाहर निकालकर ज्ञान और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर ले जाते हैं।
  • आंतरिक परिवर्तन: गुरु हमें अपने अंदर छिपी हुई नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक गुणों को विकसित करने में मदद करते हैं।
  • आत्मिक उन्नति: गुरु हमें भक्ति, ज्ञान और कर्म के मार्ग पर चलकर आत्मिक उन्नति प्राप्त करने में सहायता करते हैं।

श्रीगुरुचरण पद्म आरती हिंदी में | Guru Aarti Iskcon

(1) श्रीगुरुचरण पद्म, केवल भकति-सद्म, वन्दो मुइ सावधान मते।
याँहार प्रसादे भाई, ए भव तरिया याइ, कृष्ण प्राप्ति हय याँहा हइते॥

एक आध्यात्मिक गुरु के चरण कमल ही एकमात्र साधन हैं जिनके द्वारा हम शुद्ध भक्ति प्राप्त कर सकते हैं। मैं अत्यंत भक्ति और श्रद्धा के साथ उनके कमल चरणों में प्रणाम करता हूं। उनकी कृपा से प्राणी भौतिक कष्टों के सागर को पार कर सकता है और कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकता है।

(2) गुरुमुख पद्म वाक्य, चितेते करिया ऐक्य, आर न करिह मने आशा।
श्रीगुरुचरणे रति, एइ से उत्तम-गति, ये प्रसादे पूरे सर्व आशा॥

मेरी एकमात्र इच्छा उनके कमल मुख से निकलने वाले शब्दों के माध्यम से मेरी चेतना को शुद्ध करना है। उनके चरण कमलों का प्रेम एक ऐसी सफलता है जो सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है।

(3) चक्षुदान दिलो येई, जन्मे जन्मे प्रभु सेइ, दिवय ज्ञान हृदे प्रकाशित।
प्रेम-भक्ति याँहा हइते, अविद्या विनाश जाते, वेदे गाय याँहार चरित॥

वह मेरी बंद आँखें खोल देता है और मेरे हृदय को दिव्य ज्ञान से भर देता है। वे अनेक जन्मों से मेरे स्वामी हैं। वह प्रेमपूर्ण भक्ति प्रदान करता है और अज्ञानता को नष्ट करता है। वैदिक शास्त्र उनके चरित्र का गुणगान करते हैं।

(4) श्रीगुरु करुणा-सिन्धु, अधम जनार बंधु, लोकनाथ लोकेर जीवन।
हा हा प्रभु कोरो दया, देह मोरे पद छाया, एबे यश घुषुक त्रिभुवन॥

हे गुरूदेव, करुणा के सिन्धु और धन्य आत्माओं के मित्र! आप ही सबके गुरु और सबके प्राण हैं। हे गुरुदेव! मुझ पर दया करके अपने चरणों की छाया दे दो। आपकी कीर्ति तीनों लोकों में फैली हुई है।

श्रीगुरुचरण आरती का समय:

  • सुबह: सुबह-सुबह गुरु चरण पद्म आरती करने से दिन की शुरुआत शुभ और मंगलमय होती है।
  • शाम: शाम को आरती करने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  • विशेष अवसर: गुरु पूर्णिमा, गुरु जयंती और अन्य धार्मिक त्योहारों पर भी आरती की जाती है।

आरती की सामग्री:

  • दीप: एक या पांच दीपक
  • फूल: गुलाब, कमल, या अन्य सुगंधित फूल
  • फल: केला, सेब, या अन्य मौसमी फल
  • धूप: लोबान, कपूर, या अन्य सुगंधित धूप
  • नैवेद्य: मिठाई, फल, या अन्य भोजन

आरती का तरीका:

  1. दीप प्रज्वलित करें: दीपक को तेल या घी से जलाएं और गुरु के चित्र या मूर्ति के सामने रखें।
  2. फूल अर्पित करें: गुरु के चरणों में फूल अर्पित करें।
  3. फल अर्पित करें: गुरु को फल अर्पित करें।
  4. धूप जलाएं: धूप जलाएं और आरती शुरू करें।
  5. आरती के मंत्र: आरती के मंत्रों का भक्तिभाव से गायन करें।
  6. प्रार्थना: गुरु से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करें।

आरती के मंत्र:

  1. श्री गुरु चरण पद्म
  2. जय गुरुदेव
  3. गुरु ऋण तू कैसे चुकाऊं
  4. गुरु मंगल मूर्ति

आरती के लाभ:

  • आध्यात्मिक प्रगति: गुरु चरण पद्म आरती करने से आध्यात्मिक प्रगति होती है।
  • मन की शांति: आरती करने से मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।
  • नकारात्मकता का नाश: आरती करने से नकारात्मक विचारों और भावनाओं का नाश होता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।

निष्कर्ष:

श्री गुरु चरण पद्म आरती भक्ति और कृतज्ञता का एक सुंदर भाव है। यह आरती हमें अपने आध्यात्मिक गुरु के प्रति सम्मान और समर्पण व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।

श्री कृष्ण आरती
Shri Krishna Aarti in Hindi

1. श्री गुरु चरण पद्म आरती कब की जाती है?

श्री गुरु चरण पद्म आरती सुबह, शाम या विशेष अवसरों जैसे गुरु पूर्णिमा और गुरु जयंती पर की जा सकती है। सुबह की आरती दिन की शुभ शुरुआत करती है, जबकि शाम की आरती मन को शांति देती है।

2. आरती के लिए क्या सामग्री चाहिए?

एक या पांच दीपक, सुगंधित फूल (गुलाब, कमल आदि), मौसमी फल (केला, सेब आदि), सुगंधित धूप (लोबान, कपूर आदि) और मिठाई या फल जैसा नैवेद्य इस्तेमाल किया जाता है।

3. आरती कैसे की जाती है?

दीप जलाकर गुरु के चित्र या मूर्ति के सामने रखें। फिर फूल, फल और धूप अर्पित करें। आरती के मंत्रों का उच्चारण करें और प्रार्थना करें। कुछ आम मंत्रों में “श्री गुरु चरण पद्म”, “जय गुरुदेव”, “गुरु ऋण तू कैसे चुकाऊं” और “गुरु मंगल मूर्ति” शामिल हैं।

4. श्री गुरु चरण पद्म आरती के क्या लाभ हैं?

यह आरती आध्यात्मिक प्रगति, मन की शांति, नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक होती है। यह गुरु के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त करने का भी एक तरीका है।

5. क्या घर पर श्री गुरु चरण पद्म आरती की जा सकती है?

बिल्कुल! आप अपने घर में ही गुरु की प्रतिमा या चित्र के सामने श्रद्धापूर्वक आरती कर सकते हैं। इससे आपको आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होंगे और आपका गुरु के प्रति सम्मान और समर्पण गहरा होगा।


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