गणेश स्तुति श्लोक | श्री गणेश स्तुति श्लोक संस्कृत lyrics

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ये भी गणेश जी की महिमा और गुणों का वर्णन करने वाले “गणेश स्तुति श्लोक” हैं। इन श्लोकों का पाठ करने से भी गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सभी प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

गणेश स्तुति श्लोक

श्री गणेश स्तुति श्लोक

1.

भुक्ति मुक्ति दायकं समस्त क्लेश वारकम्

बुद्धि बल प्रदायकं समस्त विघ्न हारकम्

धूम्रवर्ण शोभनं एक दन्त मोहनम्

भजामि ते कृपाकरं मम हृदय विहारिणम्॥

अर्थ:

हे गणेश जी, आप हमें भौतिक सुख-सुविधा और मोक्ष दोनों प्रदान करते हैं। आप बुद्धि और बल के दाता हैं और सभी विघ्नों को दूर करते हैं। आप धूम्रवर्ण के हैं और एक दांत वाले हैं। आप मोहन हैं, अर्थात् आप सभी को मोहित करते हैं। मैं आपको अपने हृदय में निवास करने वाला कृपा करने वाला मानता हूं।

2.

गजवदन शोभितं मोदकं सदा प्रियम्

वक्रतुण्ड धारकं कृष्णपिच्छ मोहनम्

विकटरूप धारिणं देववृन्द वन्दितम्

स्मरामि विघ्नहारकं मम बन्ध मोचकम्॥

अर्थ:

आपके पास हाथी का मुख है और आप हमेशा मोदक खाते रहते हैं। आप वक्रतुंड हैं, अर्थात् आपके एक दांत हैं। आप कृष्णपिच्छ हैं, अर्थात् आपके पीठ का रंग काला है। आप विकट रूप धारण करते हैं और देवताओं द्वारा वंदित हैं। मैं आपको विघ्नहारक और मेरे बन्धन को मुक्त करने वाला मानता हूं।

3.

सुराणां प्रधानं मूषक वाहनम्

रिद्धि सिद्धि संयुतं भालचन्द्र शोभनम्

ज्ञानिनां वरिष्ठं इष्ट फल प्रदायकम्

सदा भावयामि त्वां सगुण रूप धारिणम्॥

अर्थ:

आप देवताओं के प्रधान हैं और आपका वाहन मूषक है। आप रिद्धि और सिद्धि से संयुक्त हैं और आपके मस्तक पर चंद्रमा शोभायमान है। आप ज्ञानियों में श्रेष्ठ हैं और इष्ट फल प्रदान करने वाले हैं। मैं आपको सगुण रूप धारण करने वाले मानता हूं।

4.

सर्व विघ्न हारकं समस्त विघ्न वर्जितम्

विकट रूप शोभनं मनोज दर्प मर्दनम्

सगुण रूप मोहनं गुणत्रय अतीतम्

नमामि ते नमामि ते मम प्रिय गणेशम्॥

अर्थ:

आप सभी विघ्नों को दूर करने वाले हैं और आपके सभी विघ्नों को नष्ट कर देते हैं। आप विकट रूप धारण करते हैं और मनुष्यों के अभिमान को दबाते हैं। आप सगुण रूप से मोहित करने वाले हैं और गुणों से परे हैं। मैं आपको बार-बार प्रणाम करता हूं, मेरे प्रिय गणेश जी।

5.

गणेशं भजे सर्वज्ञं सर्वेश्वरं सर्वशक्तिम्

सर्वलोकपालं देवं सर्वभूतहितं कृपानिधिम्

सर्वकामार्थसिद्धिदातारं सर्वदुःखनिवारकम्

सर्वाभीष्टफलप्रदं तं नमामि गणपतिम्॥

अर्थ:

मैं सर्वज्ञ, सर्वेश्वर, सर्वशक्तिमान, सर्वलोकपाल, देव, सर्वभूतहितकर, कृपानिधि, सर्वकामार्थसिद्धिदाता, सर्वदुःखनिवारक, सर्वाभीष्टफलप्रद गणेश जी की वंदना करता हूं।

6.

नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते

नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते

नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते

नमस्ते गणपतये नमस्ते नमस्ते॥

अर्थ:

मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं, गणेश जी, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं।

गणेश जी की स्तुति के लाभ

गणेश जी की स्तुति करने से कई लाभ होते हैं। इनमें से कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:

  • गणेश जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सभी प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
  • गणेश जी बुद्धि और ज्ञान के देवता हैं। उनकी स्तुति करने से भक्तों को बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।
  • गणेश जी विघ्नहर्ता हैं। उनकी स्तुति करने से भक्तों के सभी विघ्न दूर होते हैं।
  • गणेश जी भक्तों के बन्धन को मुक्त करते हैं। उनकी स्तुति करने से भक्तों के सभी बन्धन दूर होते हैं।

गणेश जी की स्तुति कैसे करें

गणेश जी की स्तुति करने के लिए सबसे पहले एक स्वच्छ और पवित्र स्थान पर बैठ जाएं। फिर गणेश जी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठ जाएं। इसके बाद गणेश जी की आरती करें या गणेश जी के श्लोकों का पाठ करें। स्तुति करते समय मन को शांत और केंद्रित रखें। स्तुति पूरी होने पर गणेश जी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

गणेश जी की स्तुति करने के लिए किसी विशेष विधि की आवश्यकता नहीं है। आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विधि से गणेश जी की स्तुति कर सकते हैं।

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FAQs

गणेश जी को मोदक क्यों प्रिय हैं?

गणेश जी को मोदक इसलिए प्रिय हैं क्योंकि यह उनके नाम “मोद” (खुशी) और “का” (देने वाला) से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि मोदक ग्रहण करने से गणेश जी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की इच्छा पूरी करते हैं।

गणेश जी का वाहन चूहा क्यों है?

गणेश जी का वाहन चूहा, बुद्धि और चतुराई का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि गणेश जी सभी कोनों तक पहुँच सकते हैं और किसी भी समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।

गणेश जी को “विघ्नहर्ता” क्यों कहा जाता है?

गणेश जी को “विघ्नहर्ता” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह अपने भक्तों के जीवन में आने वाले विघ्नों को दूर करते हैं। वह नकारात्मकता को हटाते हैं और सकारात्मकता का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

गणेश जी की पूजा कब और कैसे की जाती है?

गणेश जी की पूजा किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन बुधवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक मंडप सजाएं और उसमें गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। गणेश जी को प्रसाद में मोदक या अन्य मिठाई चढ़ाएं और उनकी स्तुति का पाठ करें। अंत में, अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।

गणेश जी की स्तुति करने से क्या लाभ होते हैं?

गणेश जी की स्तुति करने से कई लाभ होते हैं। इनमें बुद्धि, ज्ञान, सफलता, विघ्नहर्ता और सुख-समृद्धि शामिल हैं। गणेश जी भक्तों के प्रति दयालु होते हैं और उनकी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।


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