6 तिल, 6 गुना शुभ: षटतिला एकादशी 2024
हिंदू धर्म में एकादशियों का बड़ा महत्व है, और उनमें से एक है षटतिला एकादशी 2024। इस खास दिन, तिल के इर्द-गिर्द घूमता है सारा शुभ और सकारात्मकता! तो आइए जानते हैं क्या है षटतिला एकादशी का महत्व और कैसे मनाया जाता है ये अनोखा व्रत:
6 तिल, 6 गुना पुण्य:
षटतिला एकादशी के नाम में ही छिपा है इसका रहस्य। “षट” का मतलब है 6, और इस दिन तिल के 6 अलग-अलग तरीकों से उपयोग किया जाता है, जिससे इस व्रत को ये खास पहचान मिली है।
- तिल से स्नान: तिल मिले पानी से स्नान करने से न सिर्फ शुद्धता आती है, बल्कि पापों का भी नाश होता है।
- तिल का उबटन: तिल के उबटन से शरीर पर मालिश करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- तिल से हवन: तिल का हवन करने से भगवान प्रसन्न होते हैं और जीवन में शुभता का आगमन होता है।
- तिल का तर्पण: पितरों को तिल दान करने से उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
- तिल का भोजन: तिल से बने व्यंजनों का भोग लगाने और ग्रहण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है और मन प्रसन्न रहता है।
- तिल का दान: तिल का दान करना बहुत पुण्यकारी होता है। गरीबों को तिल दान करने से दुख-दर्द दूर होते हैं और सौभाग्य का आगमन होता है।
कब होता है ये षटतिला एकादशी व्रत?
षटतिला एकादशी, माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस साल ये तिथि 6 फ़रवरी (माघ 22) को पड़ेगी।
क्या सिर्फ तिल ही पर्याप्त हैं?
तिल का महत्व निश्चित रूप से बहुत है, लेकिन षटतिला एकादशी सिर्फ तिल के इर्द-गिर्द ही नहीं घूमती। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना और निष्काम भाव से व्रत रखना भी बहुत जरूरी है। सच्ची भक्ति और पुण्य कर्म ही इस व्रत के असली फल को देते हैं।
अगर आप भी:
- जीवन में शुभता और सकारात्मकता लाना चाहते हैं,
- पापों का नाश और पुण्य कमाना चाहते हैं,
- स्वास्थ्य लाभ और मन की शांति पाना चाहते हैं,
- सौभाग्य का आगमन और दुख-दर्द का नाश चाहते हैं,
तो षटतिला एकादशी का व्रत आपके लिए एक बेहतरीन अवसर है। इस अनोखे व्रत को मनाकर तिल के 6 गुणों का आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन को खुशियों से भर लें!
तो चलिए, इस साल षटतिला एकादशी को मनाएं और तिल के 6 गुना शुभता का अनुभव करें!
FAQs
षटतिला एकादशी क्यों मनाई जाती है?
षटतिला एकादशी भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और जीवन में शुभता, सकारात्मकता, पाप नाश और पुण्य प्राप्त करने के लिए मनाई जाती है। इस दिन 6 अलग-अलग तरीकों से तिल का उपयोग किया जाता है, इसलिए इसे षटतिला एकादशी कहा जाता है।
इस व्रत को कैसे मनाया जाता है?
इस व्रत के दिन तिल से स्नान, तिल से उबटन लगाना, तिल का हवन, पितरों को तिल दान, भगवान विष्णु की तिल के व्यंजनों से पूजा और ग्रहण, और गरीबों को तिल दान करना मुख्य अनुष्ठान हैं। साथ ही, निष्काम भाव से व्रत रखना भी जरूरी है।
क्या सिर्फ तिल का इस्तेमाल करना ही काफी है?
तिल का इस्तेमाल जरूरी है, लेकिन सिर्फ तिल से काम नहीं चलेगा। सच्ची भक्ति, व्रत का विधि-विधान और पुण्य कर्म ही इस व्रत के असली फल को देते हैं।
इस व्रत के क्या लाभ हैं?
षटतिला एकादशी मनाने से जीवन में शुभता का आगमन, पापों का नाश, पुण्य का संचय, स्वास्थ्य लाभ, मन की शांति, सौभाग्य का आशीर्वाद और दुख-दर्द का नाश होता है।
क्या हर कोई इस व्रत को रख सकता है?
जी हाँ, कोई भी व्यक्ति षटतिला एकादशी का व्रत रख सकता है। अगर आप ऊपर बताए गए लाभों को पाना चाहते हैं तो जरूर इस व्रत को मनाएं।
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