Santoshi mata ki katha in hindi | शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा

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हिंदू धर्म में संतोषी माता(Santoshi mata) को सुख-समृद्धि और मनोकामना पूर्ति करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। उनकी कथा न केवल उनकी दिव्य शक्तियों का वर्णन करती है, बल्कि संतोष के महत्व को भी उजागर करती है।

संतोषी माता व्रत कथा

कथा: | Santoshi mata ki katha in hindi

संतोषी माता को सनातन धर्म में पूजी जाने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। उनकी पूजा मुख्य रूप से लोक परंपरा में विकसित हुई है, और प्राचीन धर्मग्रंथों में उनका उल्लेख नहीं मिलता।

संतोषी माता की उत्पत्ति के बारे में कई लोक कथाएँ प्रचलित हैं।

एक कथा के अनुसार, वे भगवान गणेश जी और उनकी पत्नियों ऋद्धिसिद्धि की पुत्री हैं।

एक बार भगवान गणेश जी अपनी बुआ से रक्षा सूत्र बांधवा रहे थे। उनके पुत्र शुभ और लाभ जिन्हें “शुभ-लाभ” के नाम से भी जाना जाता है, यह दृश्य देख रहे थे। उन्होंने अपने पिता से पूछा कि यह रस्म क्या है।

गणेश जी ने बताया कि यह केवल एक धागा नहीं बल्कि एक रक्षा कवच है, जो भाई-बहन के प्रेम और आशीर्वाद का प्रतीक है।

यह सुनकर शुभ और लाभ ने कहा कि अगर ऐसा है तो उन्हें भी एक बहन चाहिए। उनकी बात सुनकर गणेश जी ने अपनी दिव्य शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और अपनी दोनों पत्नियों ऋद्धि और सिद्धि की आत्मशक्ति के साथ उसे सम्मिलित किया।

यह ज्योति कन्या का रूप धारण कर लेती है, और इस तरह संतोषी माता का जन्म होता है।

दूसरी कथा:

दूसरी कथा में उन्हें भगवान शिव और पार्वती की पुत्री बताया जाता है।

माना जाता है कि एक बार देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि सुख-समृद्धि और संतोष कैसे प्राप्त किया जा सकता है। तब भगवान शिव ने उन्हें संतोषी माता की कथा सुनाई।

कथा के अनुसार, एक बार एक गरीब स्त्री थी जिसके पास कुछ नहीं था। वह बहुत दुखी थी और हमेशा दूसरों से ईर्ष्या करती थी। एक दिन, उसने एक वृद्ध महिला को संतोषी माता का व्रत करते हुए देखा। वृद्ध महिला ने उसे भी व्रत रखने के लिए प्रेरित किया।

स्त्री ने शुक्रवार का व्रत रखना शुरू किया और नियमित रूप से संतोषी माता की पूजा की। धीरे-धीरे, उसके जीवन में बदलाव आने लगे। उसके पति को नौकरी मिल गई और घर में सुख-समृद्धि आ गई। स्त्री बहुत खुश हो गई और उसने संतोषी माता को धन्यवाद दिया।

संतोषी माता व्रत विधि: | Maa Santoshi Mata ki Vrat Vidhi

शुक्रवार का व्रत रखने के लिए, भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। फिर, उन्हें घर में एक साफ-सुथरी जगह पर चौकी लगाकर संतोषी माता की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए।

चौकी पर दीपक, फूल, फल, मिठाई और नारियल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद, भक्तों को संतोषी माता की कथा का पाठ करना चाहिए।

व्रत के दौरान, भक्तों को दिन भर निराहार रहना चाहिए। शाम को, उन्हें फिर से स्नान करना चाहिए और संतोषी माता की आरती करनी चाहिए।

Maa Santoshi Mata

माता का आशीर्वाद:

संतोषी माता अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। जो भक्त सच्चे मन से उनका व्रत रखते हैं, उन्हें सुख-समृद्धि, संतोष, और मनचाही मुरादें प्राप्त होती हैं।

संतोषी माता की पूजा का महत्व:

संतोषी माता की कथा के अलावा, उनकी पूजा का भी विशेष महत्व है। शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में उनकी पूजा करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • मनचाही इच्छाओं की पूर्ति : माता संतोषी अपने सच्चे भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
  • सुख-समृद्धि : उनके आशीर्वाद से घर में सुख-समृद्धि आती है और आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं।
  • संतान प्राप्ति : संतान की इच्छा रखने वाले दंपत्ति भी संतोषी माता की पूजा-अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
  • शांति और सद्भाव : माता की कृपा से घर में शांति और सद्भाव का वातावरण बनता है।
  • कठिनाइयों को दूर करना : जीवन की कठिनाइयों का सामना करने और उनसे पार पाने के लिए भी संतोषी माता की पूजा की जाती है।

शुक्रवार संतोषी माता व्रत कथा, त्यौहार और परंपराएं:

संतोषी माता की कथा और पूजा के अलावा, उनके साथ कुछ त्यौहार और परंपराएं भी जुड़ी हुई हैं, जो उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती हैं:

  • शुक्रवार व्रत : जैसा कि पहले बताया गया है, शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं, उनकी पूजा करते हैं और कथा का पाठ करते हैं।
  • संतोषी माता की मूर्ति स्थापना : कई भक्त अपने घरों में संतोषी माता की मूर्ति स्थापित करते हैं और नियमित रूप से उनकी पूजा करते हैं।
  • भंडारा (भोज) : कुछ भक्त अपनी पूजा के बाद भंडारा भी करते हैं, जिसमें गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराया जाता है।
  • सामूहिक पूजा: कुछ क्षेत्रों में, भक्त मिलकर सामूहिक रूप से संतोषी माता की पूजा का आयोजन करते हैं।

संतोषी माता की शिक्षाएं:

संतोषी माता की कथा और पूजा से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं, जिनमें से कुछ हैं:

  • संतोष : संतोषी माता का नाम ही “संतोष” से आया है, जो हमें सिखाता है कि जीवन में संतोष रखना बहुत महत्वपूर्ण है। हमें जो मिला है, उसमें खुश रहना चाहिए और लालच से बचना चाहिए।
  • भक्ति भाव : सच्ची भक्ति और आस्था ही ईश्वर को प्रसन्न करने का सबसे कारगर तरीका है।
  • कर्म का महत्व : हमें कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।
  • दया और परोपकार : हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए और दयावान बनना चाहिए।

निष्कर्ष:

संतोषी माता की कथा और पूजा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। उनकी कथा हमें संतोष, भक्ति, और कर्म का महत्व सिखाती है। उनके आशीर्वाद से भक्तों को सुख-समृद्धि, शांति, और मनचाही इच्छाओं की पूर्ति प्राप्त होती है।


FAQs

संतोषी माता कौन हैं?

संतोषी माता को हिंदू धर्म में शुभ फल, संतोष और इच्छाओं की पूर्ति करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। उन्हें अक्सर दरिद्रता और कष्टों से मुक्ति दिलाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है।

संतोषी माता की पूजा कब की जाती है?

संत शुक्रवार को संतोषी माता की पूजा करने का विधान है। कई भक्त शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को भी उनकी पूजा करते हैं।

संतोषी माता की पूजा विधि क्या है?

संतोषी माता की पूजा अपेक्षाकृत सरल है। इसमें स्नान, वस्त्र चढ़ाना, तिलक लगाना, पूजा की सामग्री अर्पित करना, कथा वाचन और आरती शामिल होती है।

संतोषी माता को क्या चढ़ाया जाता है?

संतोषी माता को प्रसाद के रूप में गुड़, चने, बताशे, पीली चीजें जैसे केला और आम, और सुपारी चढ़ाई जाती है।

संतोषी माता की पूजा के क्या लाभ हैं?

मान्यता है कि संतोषी माता की सच्चे मन से पूजा करने से जीवन में सुख-शांति, संतोष, धन-धान्य की वृद्धि, संतान प्राप्ति और कष्टों से मुक्ति मिलती है।


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