Lord Shiv Chalisa Hindi Lyrics | भगवान शिव चालीसा हिंदी Lyrics

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शिव चालीसा: एक सिंहावलोकन

Lord Shiv Chalisa

ऐतिहासिक जड़ें

शिव चालीसा की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और ग्रंथों में गोता लगाने की आवश्यकता है। हालाँकि इसकी स्थापना की सही तारीख बहस का विषय बनी हुई है, लेकिन इसकी जड़ें निस्संदेह पौराणिक युग में हैं। कई लोग मानते हैं कि इसकी रचना ऋषि आदि शंकराचार्य ने की थी, हालाँकि इस दावे में ठोस ऐतिहासिक साक्ष्य का अभाव है। हालाँकि, हिंदू घरों में इसकी सदियों पुरानी उपस्थिति इसकी कालातीत प्रासंगिकता के बारे में बहुत कुछ बताती है।

मुख्य विषय-वस्तु और महत्व

चालीस छंदों (इसलिए ‘चालीसा’ नाम) से बनी शिव चालीसा, भगवान शिव की बहुमुखी प्रकृति की एक ज्वलंत तस्वीर पेश करती है। भयंकर विध्वंसक से लेकर दयालु रक्षक तक, प्रत्येक कविता इस रहस्यमय देवता की एक अलग छाया की खोज करती है। केवल प्रशंसा से परे, भजन भक्त की गहरी इच्छाओं, आशाओं और प्रार्थनाओं के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है।

संरचना और संरचना

सुंदर ढंग से संरचित, शिव चालीसा एक आह्वान के साथ शुरू होती है, उसके बाद चालीस छंदों का मुख्य भाग होता है, और आशीर्वाद मांगने वाली प्रार्थना के साथ समाप्त होता है। अवधी और ब्रज भाषाओं के मिश्रण में लिखे गए छंदों में गहरी भक्ति, समर्पण और दैवीय कृपा के लिए तीव्र लालसा का सार है।

दैनिक अनुष्ठानों में शिव चालीसा


प्रातः पाठ

कई लोगों की सुबह शिव चालीसा के शांतिदायक छंदों के बिना अधूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि सुबह चालीसा पढ़ने से मन शुद्ध होता है और दिन के लिए सकारात्मक माहौल बनता है। पूरे दिन शांत तरंगें गूंजती रहती हैं, जो भक्तों को नकारात्मकता से बचाती हैं।

समूह जप सत्र

सामूहिक ऊर्जा की शक्ति निर्विवाद है। अक्सर संगीत वाद्ययंत्रों के साथ शिव चालीसा का सामूहिक जाप माहौल को भक्तिमय बना देता है। ऐसे सत्र, जिन्हें ‘सत्संग’ कहा जाता है, केवल धार्मिक सभाएं नहीं हैं बल्कि सामुदायिक जुड़ाव का एक साधन भी हैं।

त्यौहार और विशेष अवसर

शिवरात्रि जैसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में शिव चालीसा के पाठ में वृद्धि देखी जाती है। मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और हवा शक्तिशाली छंदों से भरी होती है, जिससे एक अलौकिक वातावरण बनता है। यह भजन शादियों, जन्मों और अन्य महत्वपूर्ण जीवन की घटनाओं जैसे अवसरों की भी शोभा बढ़ाता है।

छंद में गहराई से गोता लगाना


प्रमुख श्लोक और उनके अर्थ

जबकि शिव चालीसा की प्रत्येक पंक्ति का अपना महत्व है, कुछ छंद अपने गहन अर्थ के लिए सामने आते हैं। उदाहरण के लिए, “जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सबके घट वासी” भगवान शिव की शाश्वत और सर्वव्यापी प्रकृति पर जोर देता है, सभी प्राणियों के लिए उनकी असीम करुणा को रेखांकित करता है।

मंत्र और उनकी शक्ति

चालीसा में शक्तिशाली मंत्र गुंथे हुए हैं। ऐसा ही एक मंत्र, “ओम नमः शिवाय”, पांच अक्षरों वाला मंत्र माना जाता है और इसमें भगवान शिव का सार समाहित है। माना जाता है कि इस मंत्र के नियमित जाप से आंतरिक शांति, स्पष्टता और आध्यात्मिक विकास होता है।

शिव चालीसा में प्रतीकवाद

रूपकों और प्रतीकों से भरपूर, शिव चालीसा उन लोगों के लिए एक खजाना है जो इसके छिपे अर्थों को समझने में रुचि रखते हैं। शिव की जटाओं से बहने वाली गंगा का उल्लेख पवित्रता का प्रतीक है, जबकि उनके माथे पर अर्धचंद्र समय बीतने और जीवन की चक्रीय प्रकृति का प्रतिनिधित्व करता है।

सभी संस्कृतियों में शिव चालीसा


क्षेत्रीय विविधताएँ

शिव चालीसा की सुंदरता इसकी अनुकूलनशीलता में निहित है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसके अपने-अपने संस्करण हैं, जिनमें धुन और कभी-कभी शब्दाडंबर में भी थोड़ा अंतर होता है। फिर भी, सार अपरिवर्तित रहता है, जो भारत के विशाल और विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को दर्शाता है।

वैश्विक लोकप्रियता और अनुकूलन

दुनिया भर में फैले भारतीय प्रवासियों के साथ, शिव चालीसा ने भारत की सीमाओं से परे लोगों के दिलों में जगह बना ली है। डिजिटल रूपांतरण से लेकर अनुवाद तक, यह भजन अपने संदेश की सार्वभौमिकता साबित करते हुए वैश्विक दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है।

शिव चालीसा की परिवर्तनकारी शक्ति


व्यक्तिगत अनुभव

कई लोग शिव चालीसा की जीवन-परिवर्तनकारी शक्ति की पुष्टि करते हैं। कठिन समय में सांत्वना पाने से लेकर गहन आध्यात्मिक जागृति का अनुभव करने तक, इस भजन ने अनगिनत तरीकों से जीवन को प्रभावित किया है। कुछ के लिए, यह ताकत का स्रोत है; दूसरों के लिए, यह आंतरिक शांति का मार्ग है।

वैज्ञानिक परिप्रेक्ष्य

आधुनिक विज्ञान अब आध्यात्मिक अभ्यासों के लाभों को पहचान रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि नियमित जप, जैसे शिव चालीसा का पाठ, मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, तनाव को कम कर सकता है और कल्याण की भावना पैदा कर सकता है।

शिव चालीसा सीखना और अभ्यास करना

शुरुआती मार्गदर्शक

शिव चालीसा की दुनिया में नए लोगों के लिए, शुरुआत करना कठिन लग सकता है। हालाँकि, किताबों से लेकर ऑनलाइन ट्यूटोरियल तक उपलब्ध कई संसाधनों के साथ, सीखना कभी इतना आसान नहीं रहा। कुंजी निरंतरता और हार्दिक भक्ति है।

संसाधन और प्लेटफार्म

डिजिटल युग उत्साही लोगों के लिए ढेर सारे मंच प्रदान करता है। निर्देशित पाठ की पेशकश करने वाले ऐप्स से लेकर ऑनलाइन मंचों तक जहां भक्त चर्चा कर सकते हैं और अपने अनुभव साझा कर सकते हैं, शिव चालीसा में गहराई से उतरने के इच्छुक लोगों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं है।

Lord Shiv Chalisa Hindi Lyrics | भगवान शिव चालीसा हिंदी Lyrics

श्री शिव चालीसा – 1

||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥

||चौपाई||

जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥

अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

पढ़िए शिव पुराण में वर्णित महामृत्युंजय मंत्र के फायदे

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥

मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥

धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥

नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥

पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

||दोहा||

नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥

श्री शिव चालीसा – 2

अज अनादि अविगत अलख, अकल अतुल अविकार।
बंदौं शिव-पद-युग-कमल अमल अतीव उदार॥

आर्तिहरण सुखकरण शुभ भक्ति -मुक्ति -दातार।
करौ अनुग्रह दीन लखि अपनो विरद विचार॥

पर्यो पतित भवकूप महँ सहज नरक आगार।
सहज सुहृद पावन-पतित, सहजहि लेहु उबार॥

पलक-पलक आशा भर्यो, रह्यो सुबाट निहार।
ढरौ तुरन्त स्वभाववश, नेक न करौ अबार॥

जय शिव शङ्कर औढरदानी।
जय गिरितनया मातु भवानी॥

सर्वोत्तम योगी योगेश्वर।
सर्वलोक-ईश्वर-परमेश्वर॥

सब उर प्रेरक सर्वनियन्ता।
उपद्रष्टा भर्ता अनुमन्ता॥

पराशक्ति – पति अखिल विश्वपति।
परब्रह्म परधाम परमगति॥

सर्वातीत अनन्य सर्वगत।
निजस्वरूप महिमामें स्थितरत॥

अंगभूति – भूषित श्मशानचर।
भुजंगभूषण चन्द्रमुकुटधर॥
पढ़िए शिव पुराण में वर्णित महामृत्युंजय मंत्र के फायदे

वृषवाहन नंदीगणनायक।
अखिल विश्व के भाग्य-विधायक॥

व्याघ्रचर्म परिधान मनोहर।
रीछचर्म ओढे गिरिजावर॥

कर त्रिशूल डमरूवर राजत।
अभय वरद मुद्रा शुभ साजत॥

तनु कर्पूर-गोर उज्ज्वलतम।
पिंगल जटाजूट सिर उत्तम॥

भाल त्रिपुण्ड्र मुण्डमालाधर।
गल रुद्राक्ष-माल शोभाकर॥

विधि-हरि-रुद्र त्रिविध वपुधारी।
बने सृजन-पालन-लयकारी॥

तुम हो नित्य दया के सागर।
आशुतोष आनन्द-उजागर॥

अति दयालु भोले भण्डारी।
अग-जग सबके मंगलकारी॥

सती-पार्वती के प्राणेश्वर।
स्कन्द-गणेश-जनक शिव सुखकर॥

हरि-हर एक रूप गुणशीला।
करत स्वामि-सेवक की लीला॥

रहते दोउ पूजत पुजवावत।
पूजा-पद्धति सबन्हि सिखावत॥

मारुति बन हरि-सेवा कीन्ही।
रामेश्वर बन सेवा लीन्ही॥

जग-जित घोर हलाहल पीकर।
बने सदाशिव नीलकंठ वर॥

असुरासुर शुचि वरद शुभंकर।
असुरनिहन्ता प्रभु प्रलयंकर॥

नम: शिवाय मन्त्र जपत मिटत सब क्लेश भयंकर॥

जो नर-नारि रटत शिव-शिव नित।
तिनको शिव अति करत परमहित॥

श्रीकृष्ण तप कीन्हों भारी।
ह्वै प्रसन्न वर दियो पुरारी॥

अर्जुन संग लडे किरात बन।
दियो पाशुपत-अस्त्र मुदित मन॥

भक्तन के सब कष्ट निवारे।
दे निज भक्ति सबन्हि उद्धारे॥

शङ्खचूड जालन्धर मारे।
दैत्य असंख्य प्राण हर तारे॥

अन्धकको गणपति पद दीन्हों।
शुक्र शुक्रपथ बाहर कीन्हों॥

तेहि सजीवनि विद्या दीन्हीं।
बाणासुर गणपति-गति कीन्हीं॥

अष्टमूर्ति पंचानन चिन्मय।
द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग ज्योतिर्मय॥

भुवन चतुर्दश व्यापक रूपा।
अकथ अचिन्त्य असीम अनूपा॥

काशी मरत जंतु अवलोकी।
देत मुक्ति -पद करत अशोकी॥

भक्त भगीरथ की रुचि राखी।
जटा बसी गंगा सुर साखी॥

रुरु अगस्त्य उपमन्यू ज्ञानी।
ऋषि दधीचि आदिक विज्ञानी॥

शिवरहस्य शिवज्ञान प्रचारक।
शिवहिं परम प्रिय लोकोद्धारक॥

इनके शुभ सुमिरनतें शंकर।
देत मुदित ह्वै अति दुर्लभ वर॥

अति उदार करुणावरुणालय।
हरण दैन्य-दारिद्रय-दु:ख-भय॥

तुम्हरो भजन परम हितकारी।
विप्र शूद्र सब ही अधिकारी॥

बालक वृद्ध नारि-नर ध्यावहिं।
ते अलभ्य शिवपद को पावहिं॥

भेदशून्य तुम सबके स्वामी।
सहज सुहृद सेवक अनुगामी॥

जो जन शरण तुम्हारी आवत।
सकल दुरित तत्काल नशावत॥

|| दोहा ||

बहन करौ तुम शीलवश, निज जनकौ सब भार।
गनौ न अघ, अघ-जाति कछु, सब विधि करो सँभार

तुम्हरो शील स्वभाव लखि, जो न शरण तव होय।
तेहि सम कुटिल कुबुद्धि जन, नहिं कुभाग्य जन कोय

दीन-हीन अति मलिन मति, मैं अघ-ओघ अपार।
कृपा-अनल प्रगटौ तुरत, करो पाप सब छार॥

कृपा सुधा बरसाय पुनि, शीतल करो पवित्र।
राखो पदकमलनि सदा, हे कुपात्र के मित्र॥

।। इति श्री शिव चालीसा समाप्त ।।


FAQs

शिव चालीसा क्या है?

शिव चालीसा हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान शिव को समर्पित एक 40 छंद वाला भजन है। यह एक शक्तिशाली मंत्र है जो भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है और आशीर्वाद, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास के लिए लाखों लोगों द्वारा इसका पाठ किया जाता है।

इसे “चालीसा” क्यों कहा जाता है?

“चालीसा” शब्द “चालीस” शब्द से लिया गया है, जिसका हिंदी में अर्थ चालीस होता है। यह देखते हुए कि इस भजन में चालीस छंद हैं, इसे उपयुक्त रूप से शिव चालीसा नाम दिया गया है।

यह अन्य हिंदू भजनों से किस प्रकार भिन्न है?

जबकि हिंदू धर्म में कई भजन हैं, शिव चालीसा भगवान शिव के गहन चित्रण के लिए जाना जाता है। यह केवल स्तुति का एक मंत्र नहीं है, बल्कि शिव के गुणों, कार्यों और देवता और भक्त के बीच संबंधों का एक व्यापक वर्णन है।

क्या शिव चालीसा का पाठ करने के लिए मुझे हिंदू होना ज़रूरी है?

कदापि नहीं। सभी आध्यात्मिक ग्रंथों की तरह, शिव चालीसा भी धार्मिक सीमाओं से परे है। इसकी सुंदरता और गहराई से आकर्षित कोई भी व्यक्ति इसका पाठ कर सकता है।

क्या शिव चालीसा का जाप करने के कोई विशेष लाभ हैं?

भक्तों का मानना है कि नियमित पाठ से आशीर्वाद, सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति होती है। इसके अलावा, लयबद्ध जप ध्यान की स्थिति उत्पन्न कर सकता है, मानसिक शांति और कल्याण को बढ़ावा दे सकता है।

मैं शिव चालीसा कहाँ से सीख सकता हूँ?

ऑफ़लाइन और ऑनलाइन दोनों तरह से कई संसाधन उपलब्ध हैं। पारंपरिक किताबें, डिजिटल ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म विस्तृत मार्गदर्शिकाएँ प्रदान करते हैं, जिससे वे सभी के लिए सुलभ हो जाती हैं।


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