Ganesh Chalisa PDF in Hindi | गणेश चालीसा PDF हिंदी में

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आज हम बात कर रहे हैं गणेश चालीसा PDF (Ganesh Chalisa PDF) के बारे में, जो भगवान गणेश की स्तुति में लिखी गई एक प्रसिद्ध हिंदू भजन है। इस चालीसा का पाठ करने से भक्तों को सुख, समृद्धि, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है। गणेश चालीसा को भगवान शिव और पार्वती के पुत्र, हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के देवता के रूप में माना जाता है। उनका हाथी जैसा सिर ज्ञान और विवेक का प्रतीक है। आइए, इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से गणेश चालीसा के बारे में गहराई से जानें और समझें कि यह हमारे जीवन में क्या महत्व रखता है।

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गणेश चालीसा का महत्व:

  • विघ्नहर्ता: जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, गणेश चालीसा का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद मिलती है। माना जाता है कि जो कोई भी सच्ची श्रद्धा से इसका पाठ करता है, उसके रास्ते में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
  • सुख और समृद्धि: गणेश को धन और वैभव का देवता भी माना जाता है। गणेश चालीसा का पाठ करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  • बुद्धि और ज्ञान: गणेश को विद्या और ज्ञान का देवता भी माना जाता है। उनका हाथी जैसा सिर ज्ञान और विवेक का प्रतीक है। गणेश चालीसा का पाठ करने से बुद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।
  • मन की शांति: गणेश चालीसा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है। यह तनाव और चिंता को दूर करने में मदद करता है।

गणेश चालीसा का पाठ कैसे करें:

  • सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें।
  • किसी शांत स्थान पर बैठ जाएं।
  • गणेश जी की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं।
  • पुष्प और धूप अर्पित करें।
  • श्रद्धापूर्वक गणेश चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ के बाद गणेश जी की आरती करें।

कुछ अतिरिक्त टिप्स:

  • गणेश चालीसा का पाठ प्रतिदिन या सप्ताह में कम से कम एक बार करने की कोशिश करें।
  • पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें।
  • भगवान गणेश में पूर्ण श्रद्धा रखें।

गणेश चालीसा PDF हिंदी में| Ganesh Chalisa pdf in Hindi

॥ श्री गणेश चालीसा ॥

॥ दोहा ॥

जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल ।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति गणराजू । मंगल भरण करण शुभः काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता । विश्व विनायका बुद्धि-विधाता ॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना । तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन ॥
राजत मणि मुक्तन उर माला । स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला ॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता । गौरी लालन विश्व-विख्याता ॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे । मुषक वाहन सोहत द्वारे ॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी । अति शुची पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा ॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥

अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला । बिना गर्भ धारण यहि काला ॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम रूप भगवाना ॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै । पालना पर बालक स्वरूप हवै ॥

बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना । लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो । उत्सव मोर, न शनि तुही भायो ॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहयऊ ॥

पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी । सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा । शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटी चक्र सो गज सिर लाये ॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे ॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई । रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई ॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे । नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै । अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै ॥

॥ दोहा ॥

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान ।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान ॥

सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश ।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश ॥

Ganesh Chalisa PDF Download in Hindi | गणेश चालीसा इन हिंदी PDF Download

गणेश चालीसा के मंत्रों का रहस्य (हिंदी में)

गणेश चालीसा में 40 पद हैं, जिनमें से प्रत्येक में भगवान गणेश के विभिन्न गुणों और स्वरूपों का वर्णन किया गया है। आइए, कुछ महत्वपूर्ण मंत्रों पर नज़र डालें और उनके गहरे अर्थ को समझने का प्रयास करें:

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पहला पद:

ॐ जय गणेश जय गिरीजा वर। गणेश गौरी नंदन भयहारी ॥

यह मंत्र गणेश जी और माता पार्वती को नमन करता है और उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में स्तुति करता है। यह हमें याद दिलाता है कि जीवन में आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए भगवान की कृपा आवश्यक है।

दूसरा पद:

कर गजानन भाल चतुर्वक्त्र॥ एक दन्त विशाल कैवल्य स्वरूप ॥

यह मंत्र गणेश जी के हाथी जैसे मुख और चार दांतों का वर्णन करता है। हाथी ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है, जबकि चार दांत चारों वेदों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह हमें ज्ञान प्राप्त करने और आध्यात्मिक विकास करने के लिए प्रेरित करता है।

तीसरा पद:

वामन रूप धरो जग को दिखाया॥ लंका लंकेश को हरि घर लाया ॥

यह मंत्र भगवान विष्णु के वामन अवतार के रूप में गणेश जी की लीला का वर्णन करता है। यह हमें सिखाता है कि भगवान किसी भी रूप में किसी की भी रक्षा कर सकते हैं।

चौथा पद:

दुर्गा मातु कहैं सब जग जाना॥ तेरा बल ही सब जग में माना ॥

यह मंत्र माता दुर्गा द्वारा गणेश जी की शक्ति की प्रशंसा का वर्णन करता है। यह हमें याद दिलाता है कि भगवान की शक्ति असीमित है और हमेशा हमारे कल्याण के लिए कार्य करती है।

पाँचवाँ पद:

सिद्धि नवकर तेरे ही अधीन॥ जो चाहे वो फल पाता हीन ॥

यह मंत्र नौ सिद्धियों का उल्लेख करता है जो गणेश जी के अधीन हैं। यह हमें सिखाता है कि सच्ची इच्छा और प्रयास से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

यह तो कुछ उदाहरण हैं। गणेश चालीसा के प्रत्येक पद में गहरा अर्थ छिपा है। इन मंत्रों पर मनन करने से हमें जीवन में सफलता, सुख और शांति प्राप्त करने में मदद मिलती है।

आप प्रतिदिन गणेश चालीसा का पाठ करके या इसके अर्थों पर चिंतन करके अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

इस गणेश चालीसा ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर मुझे आशा है कि आप इस प्रार्थना के महत्व को समझ गए होंगे और इसे अपने जीवन में शामिल करने के लिए प्रेरित होंगे। यदि आपके कोई प्रश्न हैं या आप अपना अनुभव साझा करना चाहते हैं, तो कृपया नीचे टिप्पणी करें।

जय गणेश!

गणेश जी की आरती हिंदी में
श्री गणेश जी की आरती हिंदी में

FAQs

क्या गणेश चालीसा का पाठ किसी खास समय पर करना चाहिए?

उत्तर: नहीं, आप किसी भी समय गणेश चालीसा का पाठ कर सकते हैं। हालांकि, सुबह जल्दी या शाम के समय पाठ करना अधिक लाभकारी माना जाता है। शांत मन और एकाग्रता के साथ पाठ करने की कोशिश करें।

क्या मुझे गणेश चालीसा का संस्कृत उच्चारण सही होना जरूरी है?

उत्तर: यद्यपि सही उच्चारण से मंत्रों का प्रभाव बढ़ जाता है, परन्तु शुद्ध मन और श्रद्धा से किया गया पाठ भी उतना ही लाभदायक होता है। यदि आप संस्कृत उच्चारण सीखना चाहते हैं तो कई ऑनलाइन संसाधन उपलब्ध हैं।

क्या गणेश चालीसा का पाठ करने से सभी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं?

उत्तर: गणेश चालीसा का उद्देश्य केवल इच्छाएँ पूरी करना नहीं है, बल्कि जीवन में सुख, शांति, ज्ञान और सफलता प्राप्त करना है। सच्ची श्रद्धा और ईमानदारी से किया गया पाठ हमें सही रास्ते पर ले जाता है, जिससे हम अपनी मेहनत से इच्छाएँ भी पूरी कर सकते हैं।

क्या गणेश चालीसा का पाठ केवल हिंदू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?

उत्तर: गणेश चालीसा का पाठ किसी भी धर्म या जाति के लोग कर सकते हैं। शांति और सकारात्मकता की तलाश करने वाला कोई भी व्यक्ति इस भजन का पाठ कर सकता है।

गणेश चालीसा के अलावा भगवान गणेश की पूजा के लिए और क्या किया जा सकता है?

उत्तर: गणेश चालीसा के अलावा आप हर शुक्रवार को व्रत रख सकते हैं, भगवान गणेश को भोग अर्पित कर सकते हैं, उनकी आरती कर सकते हैं या उनके मंत्रों का जाप कर सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण है कि मन में श्रद्धा रखें और सत्कर्म करें।


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