होली, रंगों का त्योहार, हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसे पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
2024 में होली 24-25 मार्च को मनाई जाएगी। 24 मार्च को होलिका दहन होगा, और 25 मार्च को लोग रंगों से खेलेंगे।
2024 में होली कितने तारीख को है?
2024 में होलिका दहन 24 मार्च को होगा और रंगों वाली होली 25 मार्च को होगी।
- होलिका दहन: 24 मार्च 2024, रविवार
- रंगों वाली होली: 25 मार्च 2024, सोमवार
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:
- भद्रा रहित मुहूर्त: 24 मार्च 2024, रात 9:57 बजे से 11:13 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त: 24 मार्च 2024, शाम 6:31 बजे से 7:16 बजे तक
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि होली का त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है।
होलिका दहन, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक
होलिका दहन, जिसे छोटी होली भी कहा जाता है, होली त्योहार का पहला दिन है। यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
होलिका दहन की कहानी
होलिका दहन की कहानी भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका से जुड़ी हुई है। प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे, जबकि उनकी चाची होलिका को आग से जलने का वरदान प्राप्त था।
हिरण्यकश्यप, प्रह्लाद के पिता, देवताओं से घृणा करते थे और चाहते थे कि हर कोई उनकी पूजा करे। जब प्रह्लाद ने उनकी पूजा करने से मना कर दिया, तो हिरण्यकश्यप ने उन्हें मारने की कई कोशिशें कीं।
एक बार, हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आग में बैठकर प्रह्लाद को गोद में लेने के लिए कहा। होलिका को वरदान था कि वह आग से नहीं जलेगी।
लेकिन जब होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठी, तो चादर प्रह्लाद के ऊपर आ गई और होलिका जल गई। प्रह्लाद भगवान विष्णु की कृपा से बच गए।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, अंत में हमेशा अच्छाई की जीत होती है।
होलिका दहन कैसे मनाया जाता है
होलिका दहन के दिन, लोग लकड़ी और गोबर के उपलों से एक होलीका का ढेर बनाते हैं। शाम को, लोग होलीका के ढेर के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और उसे जला देते हैं।
इसके बाद, लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के गीत गाते हैं।
होलिका दहन के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
- यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- लोग लकड़ी और गोबर के उपलों से एक होलीका का ढेर बनाते हैं और उसे जलाते हैं।
- इसके बाद, लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के गीत गाते हैं।
आइए, इस साल होलिका दहन का त्योहार पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाएं!
रंगों वाली होली
होलिका दहन के अगले दिन, लोग रंगों से खेलते हैं। इस दिन, लोग एक दूसरे पर रंग, पानी, और गुब्बारे फेंकते हैं। यह एक बहुत ही मजेदार और उत्साहपूर्ण दिन होता है।
होली के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- होली को “वसंत ऋतु का त्योहार” भी कहा जाता है।
- होली भारत का राष्ट्रीय त्योहार है।
- होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
- होली रंगों, पानी, और गुब्बारों का त्योहार है।
- होली एक बहुत ही मजेदार और उत्साहपूर्ण त्योहार है।
यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं कि आप 2024 में होली कैसे मना सकते हैं:
- अपने परिवार और दोस्तों के साथ होलिका दहन में शामिल हों।
- रंगों से खेलने के लिए रंग, पानी, और गुब्बारे खरीदें।
- पारंपरिक होली के व्यंजन जैसे कि गुजिया, दाल-बाटी-चूरमा, और ठंडाई बनाएं।
- होली के गाने सुनें और नृत्य करें।
- होली की शुभकामनाएं अपने प्रियजनों को भेजें।
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
आइए, इस साल होली का त्योहार पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाएं!
FAQs
1. 2024 में होली कितने तारीख को है?
होलिका दहन: 24 मार्च 2024, रविवार
रंगों वाली होली: 25 मार्च 2024, सोमवार
2. होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है?
भद्रा रहित मुहूर्त: 24 मार्च 2024, रात 9:57 बजे से 11:13 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: 24 मार्च 2024, शाम 6:31 बजे से 7:16 बजे तक
3. क्या होली का त्योहार पूरे भारत में एक ही तारीख को मनाया जाता है?
नहीं, होली का त्योहार पूरे भारत में अलग-अलग तारीखों को मनाया जाता है। कुछ जगहों पर इसे फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है, जबकि कुछ जगहों पर इसे फाल्गुन पूर्णिमा के दो दिन बाद मनाया जाता है।
4. होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनकी दुष्ट चाची होलिका की कहानी से जुड़ा हुआ है।
5. होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है?
होलिका दहन के दिन, लोग लकड़ी और गोबर के उपलों से एक होलीका का ढेर बनाते हैं। शाम को, लोग होलीका के ढेर के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और उसे जला देते हैं। इसके बाद, लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं और होली के गीत गाते हैं।
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